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मणिपुर में भारतीय सेना के जवान की हत्या

चारु कार्तिकेय
१८ सितम्बर २०२३

मणिपुर में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर की हत्या के कुछ ही दिनों के अंदर अब भारतीय सेना के एक जवान की हत्या कर दी गई है. इस घटना से राज्य में आम लोगों के साथ साथ सुरक्षाबलों की सुरक्षा लेकर को भी सवाल खड़े हो गए हैं.

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मणिपुर
मणिपुर में तैनात भारतीय सेना के जवानतस्वीर: ARUN SANKAR/AFP

सिपाही सरतो थांगथांग कॉम छुट्टी ले कर इम्फाल पश्चिम जिले में अपने घर गए गए हुए थे, जहां से अज्ञात लोगों ने शनिवार 16 सितंबर को उनका अपहरण कर लिया. अगली सुबह उनके घर से करीब 15 किलोमीटर दूर उनका शव मिला. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उनके सिर पर एक गोली लगने का निशान था.

सरतो थांगथांग कॉम की हत्या में शामिल लोगों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. 41 साल के सरतो थांगथांग कॉम डिफेंस सर्विस कोर की एक पलटन में तैनात थे. यह भारतीय सेना का एक विशेष दस्ता है, जिसका काम सेना की तीनों शाखाओं की इमारतों और अन्य संवेदनशील इमारतों की रक्षा करना होता है.

कॉम आदिवासियों का हाल

सरतो थांगथांग कॉम समुदाय के सदस्य थे, जिन्हें मणिपुर के अल्पसंख्यक आदिवासी समुदायों में से एक माना जाता है. ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता बॉक्सर और पूर्व राज्य सभा सदस्य एमसी मैरी कॉम भी इसी समुदाय की सदस्य हैं.

जिन हाथों ने कभी छुई भी नहीं बंदूक, वे हो रहे लड़ने को तैयार

उन्होंने दो सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर उनसे अपील की थी उनके समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं. मैरी कॉम ने पत्र में लिखा था कि कॉम समुदाय के लोग मैतेई और कुकी समुदायों के बीच में फंसे हुए हैं और अक्सर दोनों पक्षों की तरफ से उनके समुदाय के लोगों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है.

उन्होंने यह भी बताया था कि कम संख्या बल और कमजोर आंतरिक प्रशासन होने की वजह से उनके समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा नहीं कर पाते हैं. भारतीय सेना के सिपाही की हत्या को लेकर मणिपुर में सरकार की नीतिकी आलोचना की जा रही है. सुरक्षा मामलों के जानकार सुशांत सिंह ने एक्स पर लिखा है कि यह सेना के शीर्ष नेतृत्व और राज्य में बीजेपी सरकार दोनों पर टिप्पणी है.

मणिपुर सरकार की तरफ से इस घटना पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है. पिछले महीने मणिपुर पुलिस ने सेना के असम राइफल्स पर कामकाज में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कर दी थी. सेना ने इस आरोप का खंडन किया था. इससे पहले मैतेई संगठनों के विरोध के कारण विष्णुपुर में एक जांच चौकी से असम राइफल्स के जवानों को हटा कर राज्य पुलिस और सीआरपीएफ को तैनात किया गया था.